उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के लोग गेंदे के फूलों का उत्पादन करके आत्मनिर्भर बन रहे हैं। राज्य के कई जिलों में लोग हार्टिकल्चर टेक्नोलॉजी को अपनाकर स्वरोजगार कर रहे हैं।
उत्तराखंड में स्वरोजगार की कमी नहीं है। उत्तराखंड का बहुत बड़ा भाग पर्यटक में आता है। अगर जनता इन प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग अपनी रोजगार या तरक्की के करें तो पलायन करने की जरुरत नहीं पड़ेगी। उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के कई ग्रामीण लोग अपनी तरक्की के लिए यही साधन अपना रहे हैं। बागेश्वर जिला फूलों का उत्पादन करके आत्मनिर्भर बन रहा है। बागेश्वर जिले के लोगों के लिए उद्यान विभाग की हार्टिकल्चर टेक्नोलॉजी मिशन योजना वरदान साबित हो रही है। बागेश्वर जिले के लगभग 3 हेक्टेयर भूमि में गेंदा फूल की खेती हो रही है। जिससे हर श्रमिक या काश्तकार वर्ष में लगभग डेढ़ से दो लाख तक की कमाई कर रहे हैं। राज्य में दीपावली और अन्य धार्मिक आयोजनों में जब गेंदे के फूलों की डिमांड बढ़ती है तो काश्तकारों की अच्छी कमाई होती है। बागेश्वर जिले मनकोट के राजेश चौबे ने बताया की वो दीपावली पर एक लाख से अधिक के फूल बेचते हैं। और उन्होंने बताया कि उनके चचेरे भाईयों ने भी उनको देखते हुए फूलों की खेती शुरू कर दी है।
अगर आप लोग भी फूलों का उत्पादन करके अपना स्वरोजगार अपनाना चाहते हैं तो योजना से जुडी जानकारी को ध्यान से देखें... उद्यान विभाग योजना के तहत काश्तकारों को निशुल्क बीज दिया जाता है। फूलों की खेती दो नाली जमीन से शुरू की जा सकती है। बागेश्वर, गरुड़, काफलीगैर क्षेत्र की जलवायु में गेंदा फूल खूब महक रहे हैं। फूलों की बिक्री के लिए इंटरनेट मिडिया माध्यम से मंडी में काश्तकारों की बात कराइ जाती है। इसके साथ ही गेंदे का फूल कीटनाशक फसल में आता है। गेंदे के फूलों को अन्य फसलों के साथ मेंड़ों पर भी उगाया जा सकता है। ये फसल कीटनाशक होने के कारण अपने साथ उगाई गई फ़सल को कीटों से भी बचाती है। बागेश्वर जिला अधिकारी RK सिंह ने बताया कि बागेश्वर में हाइब्रिड गेंदा फूल का उत्पादन व फूलों की खेती दो नाली जमीन पर करने पर उद्यान विभाग वाले लोग निशुल्क बीज दिए जाते हैं। इससे किसानों को अच्छा लाभ मिल रहा है। लोगों को स्वरोजगार उपलब्ध हो रहा है। इससे और अधिक लोग भी स्वरोजगार के लिए प्रेरित हो रहे हैं। इसमें उद्यान विभाग की और से हर संभव मदद की जा रही है। इससे पलायन को भी कम किया जा सकता है।