उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री डॉ. धनसिंह रावत एक प्रवेश, एक सत्र, एक परीक्षा के निर्देश दे चुके हैं। बावजूद विश्वविद्यालयों की सुस्ती छात्रों पर भारी पड़ रही है।
पिछले अकादमिक सत्र की शुरुआत में बड़े-बड़े दावे करने वाले प्रदेश के राज्य व केंद्रीय विश्वविद्यालयों की सुस्ती ने हजारों छात्रों का भविष्य दांव पर लगा दिया है। न तो वे पीजी में अपने राज्य या बाहरी विश्वविद्यालयों में दाखिला ले पा रहे हैं और न ही आयु सीमा से जुड़ी सीडीएस जैसी भर्तियों में शामिल हो पा रहे हैं। रिजल्ट समय से न आने की वजह से उनकी छात्रवृत्ति भी अटक रही है। ये हाल तब है जबकि उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत प्रदेश में एक प्रवेश, एक सत्र, एक परीक्षा के निर्देश दे चुके हैं।
अमरउजाला की एक रिपोर्ट के मुताबिल गढ़वाल केंद्रीय विवि, कुमाऊं विवि, सोबन सिंह जीना अल्मोड़ा विश्वविद्यालयों हो या उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालयों सभी जगह शिक्षा व्यवस्था लचर ही है, परीक्षाओं का अभी तक रिजल्ट नहीं आया है, कब दाखिले होंगे, कुछ पता नहीं। इससे समय से रिजल्ट न आने की वजह से छात्र किसी भी अन्य राज्य में पीजी में दाखिला, सीडीएस जैसी भर्ती परीक्षाओं में शामिल होने छात्रवृत्ति के आवेदन के लिए पिछली कक्षा का रिजल्ट जरूरी लेकिन रिजल्ट न आने की वजह से छात्रवृत्ति से वंचित होना पड़ रहा है।