Uttarakhand UCC: महिला सशक्तिकरण की दिशा में देव भूमि उत्तराखंड सबसे पहले समान नागरिक संहिता को लागू करने वाला राज्य बनने जा रहा है। नैनीताल में मुख्य न्यायधीश के पद पर नियुक्त हुई न्यायमूर्ति ऋतु बाहरी।
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में राज्य सरकार अपने कदम बड़ा रही है। राज्य की विशेषज्ञ समिति ने समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट CM पुष्कर सिंह धामी को सौंप दिया है। विशेषज्ञ समिति ने ड्राफ्ट में लड़कियों के विवाह की आयु बढ़ाने, बहुविवाह पर रोक लगाने, उत्तराखंड में लड़कियों के बराबर हक, सभी धर्मों की महिलाओं को गोद लेने का अधिकार व तलाक के लिए समान आधार रखने की पैरवी की है। उत्तराखंड सरकार ने जब राज्य में समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट बनाने के लिए समिति का गठन किया था, उस समय भी यह कहा गया था कि इस समिति के लिए महिलाओं के अधिकार सर्वोपरि होंगे । इसके पीछे कारण भी है। दरअसल, राज्य निर्माण में प्रदेश की आधी आबादी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। राज्य निर्माण आंदोलन में महिलाएं अग्रिम पंक्ति में खड़ी रही। पर्वतीय क्षेत्रों में यदि गांव अभी भी आबाद हैं, तो वह महिलाओं की आधी आबादी की बदौलत हैं। ये खेती से लेकर घर का चूल्हा चौका करने और परिवार को संभालने का कार्य कर रही हैं। अब राज्य की महिलाएं स्वयं भी स्वरोजगार में सबल होने लगी हैं। और प्रदेश की बहुत सी महिलाऐं देश भर के बड़े बड़े पदों पर भी कार्य कर रही हैं। विशेषज्ञ समिति ने जो ड्राफ्ट सरकार को सौंपा है, उसमें की गई संस्तुतियों में महिला अधिकारों के संरक्षण का पूरा ख्याल रखा गया है। यदि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का बिल पास हो गया तो इससे राज्य में एक महिला को न्याय दिलाने का नेतृत्व मिल जाएगा। और संयोग की बात तो यह भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नैनीताल हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश के पद पर हरियाणा हाईकोर्ट की न्याय मूर्ति ऋतु बाहरी को नियुक्त किया है। यह हमारे राज्य के लिए एक संयोग की बात है कि उत्तराखंड के जिस विधानसभा से यह विधेयक पारित होना है, उस विधानसभा की भी अध्यक्ष नहीं एक महिला श्रीमती ऋतु खंडूरी हैं। इस के साथ एक और संयोग देखिए कि समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट भी एक पूर्व महिला न्यायाधीश डॉ रंजना देसाई की अगुवाई में तैयार किया गया था जो हमारे प्रदेश की सभी महिलाओं के लिए गर्व की बात है। उत्तराखंड के लिए यह गर्व की बात है कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में देव भूमि उत्तराखंड सबसे पहले समान नागरिक संहिता को लागू करने वाला राज्य बनने जा रहा है।
समान नागरिक संहिता का महिलाओं के जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों को 11 पॉइंट में समझिए......1. सभी धर्मों में विवाह के लिए लड़कियों की उम्र 18 वर्ष से अधिक हो। 2. विवाह का पंजीकरण नहीं तो सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं। 3. पति-पत्नी को समबन्ध विच्छेद में सम्मान अधिकार। 4. लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य। 5. उत्तराधिकार में लड़कियों को सम्मान अधिकार। अभी कुछ धर्मों में लड़कों का हिस्सा अधिक है। 6. नौकरी करने वाले बेटे की मृत्यु पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की जिम्मेदारी। 7. पत्नी अगर पुनर्विवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले मुआवजे में माता-पिता का भी हिस्सा होगा। 8. पत्नी की मृत्यु होने पर यदि उसके माता पिता का कोई सहारा न हो तो उनके भरण पोषण का दायित्व पति पर रहेगा। 9. सभी धर्मों की महिलाएं ले सकेंगी बच्चों को गोद। अभी कुछ धर्मों में है मनाही।10. अनाथ बच्चों के अभिभावक बनने की प्रक्रिया होगी सरल।11. पति-पत्नी के झगड़े में बच्चों की उनके दादा-दादी अथवा नाना-नानी को सौंपी जा सकती है कस्टडी।