उत्तराखंड में लागू होने वाली सामान नागरिक सहिंता में महिलाओं के अधिकारों का फैसला हो सकता है। इसके तहत किसी भी धर्म या जाती की महिला को उसके पैतृक संपत्ति में बराबर का हक़ मिलेगा।
उत्तराखंड में समान नागरिक सहिता ड्राफ्ट पर सरकार द्वारा बहुत से बदलाव किए जाएंगे। इस बारे में देहरादून विधान सभा ने CM धामी ने एक बैठक भी की। बैठक में बहुत से मुद्दों पर चर्चा हुई। राज्य में महिलाओं को उनकी पैतृक व पति की सम्पति में समान अधिकार मिलेगा। उत्तराखंड में समान नागरिक सहिंता लागू करने के दृश्टिगत इसका प्रारूप तैयार कर रही विशेषज्ञ समिति इस सुझाव को प्रमुखता से प्रारूप में शामिल करने जा रही है। और साथ ही लिव-इन रिलेशनशिप के लिए प्रभावी रेगुलेशन एक्ट बनाने और बहु विवाह प्रथा पर रोक लगाने का प्रावधान करने जैसे कई अन्य बिंदु भी प्रारूप समिति का हिस्सा होंगे। प्रारूप समिति जल्द प्रावधान को राज्य सरकार को सौंप देगी। इस प्रावधान को अध्ययन करने के बाद इसे विधेयक के रूप में विधानसभा से पारित कराया जाएगा। प्रावधान पारित करने के लिए विधानसभा का सत्र जल्द बुलाया जाएगा। मुख्यमत्रीं श्री पुष्कर सिंह धामी की इस बारे में राज्य विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण से बातचीत हुई है। और मिडिया से बात करते हुए CM धामी ने कहा कि जल्द ही विशेषज्ञ समिति से ड्राफ्ट मिल जाएगा। और कहा कि कार्य अपने अंतिम चरण में है। CM धामी ने कहा की ड्राफ्ट मिलते ही हम आगे की कार्यवाही शीघ्र सम्पन्न करेंगे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद सत्ता संभालते ही 27 मई 2022 को समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट बनाने के लिए जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (सेनि) की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन किया, और समिति में 4 सदस्य शामिल किए गए। बाद में विशेषज्ञ समिति में सदस्य सचिव को भी शामिल किया गया। विशेषज्ञ समिति के लगभग 15 महीने के कार्यकाल में अबतक 80 से अधिक बैठक हो चुकी हैं और समिति को 2.30 लाख से अधिक सुझाव मिले चुके हैं। विशेषज्ञ समिति ने बैठकों के जरिये उत्तराखंड के सभी धर्मों, समुदाय व जनजातियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों में जाकर वहां के स्थानीय निवासियों से सुझाव लिए गए। उत्तराखंड के सभी राजनीतिक दलों के साथ ही नई दिल्ली में भी उत्तराखंड के प्रवाशियों के साथ भी इस विषय पर बातचीत कर उनसे सुझाव लिए । विशेषज्ञ समिति को समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट जून 2023 तक सौंपना था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इसके बाद उत्तराखंड सरकार ने विशेषज्ञ समिति के कार्यकाल को तीसरी बार चार महीनों के लिए बढ़ाया। विशेषज्ञ समिति के अंतर्गत वर्तमान कानूनी प्रावधानों में संशोधन, सभी धर्मों के अनुयायियों को समान अधिकार, उत्तरदायित्व , विरासत , तलाक, गोद लेना, स्थानीय व जनजातीय परंपराओं तथा रीति रिवाजों का अनुपालन व निजी स्वतंत्रता संबंधी बिंदु इस सभी मामलों को रखा गया है। ‘विधानसभा के मानसून सत्र का अभी सत्रावसान नहीं हुआ है। ऐसे में सरकार चाहे तो सत्र बुला सकती है। यह कब होगा, यह सरकार को तय करना है।