उत्तराखंड के पर्यटक स्थलों में कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ रही हैं। ये हाल तब है, जबकि कोरोना की दूसरी लहर अभी खत्म नहीं हुई है और तीसरी लहर आने की आशंका है।
कोरोना की बंदिशों में ढील के बाद लोग बेफिक्र हो गए हैं। उत्तराखंड के पर्यटक स्थलों से लेकर बाजारों तक में जमकर भीड़ उमड़ रही है। कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ रही हैं। ये हाल तब है, जबकि कोरोना की दूसरी लहर अभी खत्म नहीं हुई है और तीसरी लहर आने की आशंका है। नैनीताल-मसूरी जैसे तमाम पर्यटक स्थलों पर पैर रखने तक की जगह नहीं मिल रही। पर्यटकों का जमावड़ा प्रदेशवासियों को डरा रहा है। कोरोना संक्रमण की आशंका के चलते पर्यटकों की भीड़ खतरे की घंटी बजा रही है। स्थानीय लोग अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन अब भी बेपरवाह बने हुए हैं। यही हाल कुंभ के दौरान भी था। अगर उस वक्त भी संक्रमण रोकथाम के लिए समय रहते कदम उठाए गए होते, तो हजारों लोगों को अपनी जान न गंवानी पड़ती। अब मौजूदा हाल की बात करते हैं। कोरोना कर्फ्यू में पिछले एक हफ्ते से ढील मिलने लगी है। दिल्ली, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में भी कोरोना के केस कम हुए हैं। जिसके बाद इन राज्यों से बड़ी तादाद में पर्यटक उत्तराखंड पहुंचने लगे हैं। आगे पढ़िए
मसूरी, नैनीताल, धनोल्टी, कैंपटी फॉल, टिहरी लेक और काणाताल में हर हफ्ते भीड़ उमड़ रही है। नैनीताल-मसूरी में तो बीते वीकएंड मीलों तक जाम लगा रहा। होटल-गेस्ट हाउस फुल रहे। सैकड़ों पर्यटकों को बैरंग लौटा दिया गया। बाजारों में भी पैर रखने की जगह नहीं मिल रही थी। बाहर से आने वाले लोगों को कोरोना और आरटीपीसीआर रिपोर्ट लाने की अनिवार्यता में भी ढील दी जा रही है। न तो पुलिस सख्ती से चेकिंग कर रही है और न ही प्रशासन ने जांच के इंतजाम किए हैं। निजी वाहनों से आने वाले लोग बेरोक-टोक प्रदेशभर में घूम रहे हैं, लेकिन कहीं भी इनकी रिपोर्ट चेक नहीं हो रही। अगर हमने अब भी सतर्कता नहीं बरती तो कोरोना फिर पैर पसारेगा। पर्यटकों की लापरवाही से कोरोना को काबू में करने के लिए अब तक की गई मेहनत पर पानी फिर सकता है। लोगों को दोबारा बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए जरूरी है कि बाहर से आने वाले पर्यटकों को कोविड गाइडलाइन का सख्ती से पालन करने की हिदायत दी जाए। प्रशासन को भी इस ओर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।