जिले में भांग की खेती लाइसेंस के जरिए होगी। नशा रहित भांग की खेती के लिए जिला प्रशासन ने मनकोट और छाती गांव का चयन किया है।
पलायन से जूझ रहे पहाड़ में भांग रोजगार का जरिया बनेगा। भांग की खेती के जरिए दम तोड़ती कृषि को जीवनदान देने की कार्ययोजना पर काम चल रहा है। प्रदेश के कई जिलों में नशा रहित भांग की खेती की शुरुआत हो चुकी है। इसी कड़ी में बागेश्वर में डीएम विनीत कुमार ने किसान राजेश चौबे के खेत में भांग का बीज रोपित कर हैंप उत्पादन की शुरुआत की। इस मौके पर डीएम विनीत कुमार ने कहा कि हैंप उत्पादन से किसानों की आय बढ़ेगी, वो आत्मनिर्भर बनेंगे। जिला प्रशासन ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए हैंप उत्पादन प्रोजेक्ट बनाया था। जिसके तहत भांग की बुवाई कर योजना की शुरुआत कर दी गई है। नशा रहित भांग की खेती के लिए जिला प्रशासन ने मनकोट और छाती गांव का चयन किया है। गांव के अन्य किसान भी भांग की खेती के लाइसेंस के लिए जिला आबकारी विभाग में आवेदन कर सकते हैं। डीएम ने कहा कि हैंप से रोटी, कपड़ा और मकान तीनों मिल सकते हैं। भांग उत्पादन के लिए पॉलीहाउस का प्रयोग किया जा रहा है।
जिले में भांग की खेती लाइसेंस के जरिए होगी। वर्तमान में 20 नाली भूमि में भांग की खेती के लिए आवेदन आए हैं। एक हेक्टेयर तक पायलट प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। भांग से सैकड़ों प्रोडक्ट तैयार किए जा सकते हैं। जिले के किसानों को विपणन की कोई परेशानी नहीं होगी। नशा रहित भांग की खेती से किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत बनेगी। यहां आपको भांग की खेती के फायदे भी बताते हैं। भांग के पौधों को जंगली जानवर नुकसान नहीं पहुंचाते, जिससे फसल सुरक्षित रहती है। भांग के रेशे से कई तरह उत्पाद बनाए जाते हैं। कपड़े, दवाईयां, साबुन और शैंपू बनाने में भी इसका इस्तेमाल होता है। वैश्विक स्तर पर औषधीय उपयोग के लिए भांग की डिमांड बढ़ने लगी है। जिसके चलते राज्य सरकार भी इंडस्ट्रियल हैंप को बढ़ावा देने की दिशा में प्रयासरत है। राज्य में भांग की खेती, इसका मैकेनिज्म और इससे होने वाले लाभ समेत सभी पहलुओं का आंकलन किया जा रहा है।