बदरीनाथ विधानसभा सीट परिसीमन के कारण वर्ष 1998 में अस्तित्व में आई। इस सीट पर जनता ने बीजेपी और कांग्रेस को बारी-बारी से मौका दिया है।
उत्तराखंड में होने वाले हर विधानसभा चुनाव में बदरीनाथ विधानसभा सीट हॉटसीट रही है, और इसके पीछे एक खास वजह है। दरअसल गंगोत्री की ही तरह बदरीनाथ सीट से भी यह मिथक जुड़ा है कि इस सीट से जिस भी दल का विधायक जीता, उस पर भगवान बदरी विशाल की हमेशा कृपा रही। राज्य में उसी दल की सरकार चुनकर आती है। इस सीट पर जनता ने बीजेपी और कांग्रेस को बारी-बारी से मौका दिया है। बदरीनाथ विधानसभा सीट परिसीमन के कारण वर्ष 1998 में अस्तित्व में आई। इससे पहले बदरी-केदार विधानसभा सीट हुआ करती थी, जिसमें रुद्रप्रयाग जनपद की केदारघाटी भी शामिल थी। साल 2009 में परिसीमन के चलते नंदप्रयाग सीट का विलय भी बदरीनाथ में हुआ। अब एक बार फिर सबकी नजरें बदरीनाथ विधानसभा सीट पर लगी हैं। यहां के प्रमुख मुद्दों की बात करें तो निजमुला-पाणा-ईराणी और डुमक-कलगोठ सड़क का अधूरा निर्माण पूर्ण कराना, जोशीमठ पैनखंडा समुदाय को केंद्र की ओबीसी सूची में दर्ज करना और गोपेश्वर में बेस अस्पताल का निर्माण मुख्य मुद्दे हैं।
इसके अलावा आपदा प्रभावित रैणी सहित 71 गांवों का पुनर्वास, केंद्रीय विद्यालय गोपेश्वर का भवन निर्माण, ग्रामीणों को वन्य जीवों से निजात दिलाना, गोपेश्वर पॉलिटेक्निक में ट्रेड की संख्या बढ़ाना भी प्रमुख मुद्दों में शामिल है। यहां कई क्षेत्रों में सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। वर्तमान में बदरीनाथ क्षेत्र के विधायक महेंद्र भट्ट हैं। अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाते हुए उन्होंने कहा कि विधानसभा के समस्त डिग्री कॉलेज, इंटर कॉलेज में प्रवक्ताओं की नियुक्ति करवाई गई है। 13 इंटर कॉलेज में एनसीसी की मान्यता दिलवाने के अलावा लॉ कॉलेज भवन का निर्माण किया गया। जोशीमठ महाविद्यालय में तीन विषयों को मान्यता और पोखरी महाविद्यालय भवन निर्माण व नए विषयों की स्वीकृति दिलवाई गई। नगरीय क्षेत्रों में बिजली की भूमिगत केबल बिछाने का काम करवाया गया। नीती घाटी में टिम्मरसैंण महादेव यात्रा शुरू हो चुकी है। अनेक गांवों को सड़क से जोड़ना मेरी प्राथमिकता रहा है। कुछ सड़कें पूरी हो गई हैं, जबकि कई सड़कों का काम गतिमान है। चलिए जाते-जाते बदरीनाथ विधानसभा सीट के इतिहास और राजनीतिक समीकरण के बारे में भी जान लेते हैं।
अब तक के विधायक
राज्य बनने से पहले
केदार सिंह फोनिया-1991-बीजेपी
केदार सिंह फोनिया-1993- (उपचुनाव)बीजेपी
केदार सिंह फोनिया- 1996 - बीजेपी
राज्य बनने के बाद
अनुसूया प्रसाद भट्ट- 2002- कांग्रेस
केदार सिंह फोनिया- 2007- बीजेपी
राजेंद्र सिंह भंडारी- 2012- कांग्रेस
महेंद्र प्रसाद भट्ट- 2017- बीजेपी
कुल मतदाता- 102128
पुरुष-52626
महिला-49499
अन्य-तीन