मुख्यमंत्री किसे बनाया जाए? खाटीमा से अपनी खुद की सीट गंवाने वाले पुष्कर सिंह धामी के हाथों को बागडोर सौंपी जाए या फिर किसी नए चेहरे को इस पर चर्चा जारी है
उत्तराखंड ने लगातार दूसरी बार सत्ता की कमान भारतीय जनता पार्टी को सौंप दी है। लेकिन चार दिन बीतने के बाद भी पार्टी अभी तक यह फैसला नहीं कर सकी है कि वहां का मुख्यमंत्री किसे बनाया जाए? खटीमा से अपनी खुद की सीट गंवाने वाले पुष्कर सिंह धामी के हाथों की बागडोर सौंपी जाए या फिर किसी नए चेहरे पर दांव लगाए पार्टी इसको लेकर मंथन कर रही है। बता दें कि इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 70 में से 47 सीटें जीती हैं, लेकिन सीएम फेस पर सस्पेंस बरकरार है। जिस पर देहरादून से दिल्ली तक चर्चाओं का दौर जारी है।
पुष्कर सिंह धामी को चेहरा बना कर बीजेपी चुनाव जीत गई लेकिन धामी खुद अपनी खटीमा सीट हार गए. लेकिन इसके बाद भी धामी के हिमायतियों की कमी नहीं.बीजेपी के उत्तराखंड प्रभारी प्रह्लाद जोशी धामी की तारीफ कर चुके हैं. पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक ने भी धामी की पतंग को और हवा दे दी. लेकिन अपनी सीट पर हारना धामी के खिलाफ जा रहा है. ऐसे में दूसरे सवाल पर भी विचार जारी है. कई बड़े नेता विधायकों में से ही मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में हैं. धामी के अलावा धन सिंह रावत और सतपाल महाराज के नाम भी चर्चा में हैं. श्रीनगर से विधायक धन सिंह रावत राज्य सरकार में मंत्री हैं. बीजेपी का युवा चेहरा और संगठन में महत्वपूर्ण पदों का अनुभव है और राज्य में प्रभावी क्षत्रिय समाज से आते हैं.
चर्चा एक और नाम पर गर्म हैं वो हैं राज्य के कद्दावर नेता सतपाल महाराज. वो इसलिए क्योंकि आध्यात्मिक गुरू छवि बीजेपी के मुफीद हैं और चुनाव प्रबंधन के माहिर खिलाड़ी हैं. लेकिन कांग्रेस की पृष्ठभूमि सतपाल महाराज के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है. लेकिन ये सारी कवायद पार्टी में अंदरखाने में चल रही है बाहर से तो एक ही आवाज है होली के बाद बीजेपी का सीएम शपथ लेने जा रहा है. ऐसे में सवाल ये है कि इन सवालों का बीजेपी क्या हल खोजती है. क्या पुराना चेहरा बीजेपी उतारेगी या नए चेहरे पर भरोसा करेगी.