ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना के तहत 11 स्टेशनों को छोटे-छोटे शहरों के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा मास्टर प्लान बनाने के निर्देश दिए गए हैं।
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना उत्तराखंड राज्य के विकास के मार्ग में मील का पत्थर साबित होगी। इस परियोजना के पूरा होने के बाद राज्य के कई छोटे-छोटे गांव भी रेल सेवा से जुड़ जाएंगे, इस परियोजना से उत्तराखंड में पर्यटन के साथ रोजगार बढ़ेगा। रेल लाइन के 11 स्टेशनों में कई नए शहर भी विकसित किए जाएंगे। राज्य के इस रेल प्रोजेक्ट के तहत 12 रेलवे स्टेशन बनाए जाएँगे , और इनमें से 11 स्टेशनों को छोटे-छोटे शहरों के रूप में विकसित किया जाएगा। इन सभी 11 स्टेशनों के विकास के लिए राज्य सरकार ने मास्टर प्लान बनाने के निर्देश दिए हैं, और इस मास्टर प्लान को बनाने के लिए एक साल का वक्त तय किया गया है। स्टेशनों के 400 मीटर की हवाई दूरी को इसमें शामिल किया गया है। मुख्य सचिव डॉ. SS संधु ने बताया कि रेलवे स्टेशनों के समीप के क्षेत्रों में हो रहे हर प्रकार के नए निर्माण पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि इसमें निजी और सरकारी सभी प्रकार के निर्माण शामिल हैं। और रेलवे स्टेशनों के इस निर्माण कार्य में सुरक्षित निर्माण के लिए सख्त मानक भी तय किए जाएंगे।
राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों के इस निर्माण कार्यों के लिहाज से संवेदनशील है। राज्य सरकार का मानना है कि रेलवे लाइन पर रेल संचालन शुरू होने के बाद इस पूरे क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बदलाव आना तय है। शैक्षिक,व्यापारिक व पर्यटन की गतिविधियों में तेजी आएगी। इसके लिए निर्माण कार्य भी तेजी से विस्तार लेंगे। ऐसे में विकास और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए निर्माण कार्य होने जरूरी हैं। इसके लिए मास्टर प्लान में प्रावधान किए जाएंगे। बता दें कि 125 किमी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन पर 17 टनल एवं 12 स्टेशन बनाए जाएँगे। इनमें अधिकतर स्थानों पर काम करीब-करीब पूरा हो चुका है। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए वर्ष 2024 तक का वक्त तय किया गया है। ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने एवं कृषि बागवानी एवं स्थानीय उत्पादों की मार्केटिंग के लिए भी मददगार साबित होगी।