उत्तराखंड राज्य में सख्त भू कानून को लेकर एक बार फिर आवाज बुलंद होने लगी। जिसके चलते साल 2021 में CM पुष्कर सिंह धामी ने सख्त भू-कानून लागू किए जाने को लेकर समिति का गठन किया।
उत्तराखंड में भू कानून का मुद्दा फिर गरमाने लगा है। जनता, नागरिक संगठन और विपक्षी दलों के सवालों के बीच सरकार भी एक्शन मोड में है । पहाड़ों की पहचान बचाने, उत्तराखंड की संस्कृति, विरासत और वहां के मूल निवासियों की रोजी-रोटी के संरक्षण की आवाज तेज हो रही है, क्योंकि बाहरी लोगों द्वारा उत्तराखंड में कृषि और बागवानी की जमीनों को मनमाने तरीके से खरीदने और उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर हो रहे होटल-गेस्ट हाउस जैसे कार्यों को लेकर नाराजगी थी।
उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद उत्तराखंड के लोग एक बार फिर से आंदोलन कर रहे हैं। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 24 दिसंबर 2023 को भू- कानून को लेकर विशाल आंदोलन किया गया। देहरादून में हुए आंदोलन का मुद्दा था "सशक्त भू-कानून और मूल निवास 1950 प्रमाण पत्र"। उत्तराखंड के लोगों के द्वारा उत्तराखंड_मांगे_भू_कानून को सोशल मीडिया पर काफी ट्रेंड भी किया गया । दरअसल, हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड के लोग भी राज्य में भू कानून चाहते हैं। अब सोशल मीडिया की यह मुहिम जमीनी स्तर पर भी दिखने लगी है। आसान भाषा में जानें क्या है सशक्त भू- कानून?...साल 2000 में जब उत्तराखंड को उत्तरप्रदेश से अलग कर अलग संस्कृति, बोली-भाषा होने के दम पर एक संपूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया था। उस समय कई आंदोलनकारियों समेत उत्तराखंड के बुद्धिजीवियों को डर था कि उत्तराखंड की जमीन और संस्कृति भू-माफियाओं के हाथ में न चली जाए। इसलिए उत्तराखंड के निवासियों ने सरकार से एक भू-कानून की मांग की।