हाईकोर्ट ने अंतर धार्मिक कपल को साथ में रहने के लिए समान नागरिक संहिता के तहत पंजीकरण कराने का आदेश दिया है, जिसके बाद पुलिस उन्हें अगले 6 हफ़्तों तक सुरक्षा प्रदान करेगी।
हाईकोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया है कि वह अलग-अलग धर्म के लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे कपल को सुरक्षा प्रदान करे। कपल को 48 घंटे के अंदर समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के तहत पंजीकरण कराना होगा। यह आदेश इसलिए खास है क्योंकि यूसीसी अभी तक राज्य में लागू नहीं हुआ है, हालांकि इसे राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है और राज्य सरकार ने अधिसूचित भी किया है। लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले कपल के पंजीकरण के लिए अभी तक कोई दिशा-निर्देश नहीं बने हैं।
हाईकोर्ट ने यह फैसला तब दिया जब उनके पास लिव-इन में रह रही 26 साल की हिंदू महिला और 21 साल के मुस्लिम युवक द्वारा दाखिल याचिका प्राप्त हुई, ये कपल कुछ समय से साथ रह रहे थे। उन्होंने अदालत में बताया कि वे वयस्क हैं और अलग-अलग धर्म के हैं तथा साथ में लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं। जिस कारण एक के परिजनों ने उन्हें धमकियां देना शुरू कर दिया। डिप्टी सरकारी वकील जे.एस. विर्क ने बहस करते हुए उत्तराखंड यूसीसी अधिनियम की धारा 378 (1) का उल्लेख किया। इसमें कहा गया है कि उत्तराखंड में लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों को चाहे वे राज्य में कहीं भी रह रहे हों, धारा 381 की उप-धारा (1) के तहत अपनी लिव-इन रिलेशनशिप की जानकारी रजिस्ट्रार को देनी होगी जिसके अधिकार क्षेत्र में वे रह रहे हैं।
जस्टिस मनोज तिवारी और जस्टिस पंकज पुरोहित की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता यदि 48 घंटे के अंदर पंजीकरण के लिए आवेदन करते हैं, तो एसएचओ उन्हें छह हफ्ते तक सुरक्षा प्रदान करेगा। सुरक्षा की अवधि खत्म होने पर एसएचओ स्थिति का पुनः आकलन करेगा। कपल के वकील ने बताया कि पंजीकरण के लिए सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में अधिकारी ने कहा कि यूसीसी के लिए दिशानिर्देश अभी तक जारी नहीं किए गए हैं।