सिर्फ 21 साल की उम्र में हिमांशु नेगी देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दे गए। 2 जुलाई को उनका जन्मदिन है, लेकिन भाग्य की विडंबना देखिए आज ही के दिन उनका पार्थिव शरीर घर लाया जा रहा है।
वीरभूमि उत्तराखंड एक बार फिर शोक में डूबी है। पहाड़ के एक और जांबाज ने देश की सेवा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। काशीपुर निवासी हिमांशु नेगी का सिक्किम में हुए भीषण हादसे में निधन हो गया। हिमांशु सिर्फ 21 साल के थे। भाग्य की विडंबना तो देखिए, जिस दिन हिमांशु का जन्मदिन होता है, उसी दिन उनका पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचाया जाएगा। हर साल जिस दिन घर में खुशियों का जश्न मनाया जाता था, उस दिन वहां कोहराम मचा है। हर आंख आंसुओं से भरी है। परिजन चीत्कार करते हैं तो वहां मौजूद लोगों को रुलाई फूट पड़ती है। हेमपुर डिपो की पांडे कॉलोनी में रहने वाले हिमांशु नेगी की नियुक्ति 27 मार्च 2019 को 7 कुमाऊं रेजीमेंट में बतौर सिपाही हुई थी। जम्मू-कश्मीर में ड्यूटी के बाद वो पश्चिम बंगाल की बीनागुड़ी पोस्ट पर तैनात थे।
45 दिन की छुट्टी पूरी करने के बाद हिमांशु दो जून को ही ड्यूटी पर वापस लौटे थे, लेकिन किसे पता था कि ये छुट्टियां हिमांशु की आखिरी छुट्टियां साबित होंगी, वो अब कभी घर नहीं आ पाएंगे। बुधवार को सिक्किम में सेना का वाहन गहरी खाई में गिर गया। हादसे में हिमांशु नेगी शहीद हो गए। रेजीमेंट के कमांडिंग ऑफिसर ने हिमांशु की शहादत की खबर जैसे ही उनके परिजनों को दी, घर में कोहराम मच गया। शहीद हिमांशु के पिता ने बताया कि 2 जुलाई को बेटे का जन्मदिन है और आज ही उनके बेटे का पार्थिव शरीर घर पहुंचेगा। किसी माता-पिता के लिए इससे बड़ा दुख नहीं हो सकता कि उन्हें अपने जीते जी, संतान की पार्थिव देह देखनी पड़े। भगवान ऐसा दिन किसी को न दिखाए। सैन्य सूत्रों के मुताबिक शहीद का पार्थिव शरीर विशेष विमान से पहले दिल्ली और फिर काशीपुर लाया जाएगा। शनिवार को सैन्य सम्मान के साथ शहीद हिमांशु को अंतिम विदाई दी जाएगी।