श्रीनगर गढ़वाल में स्थित मां धारी देवी का मंदिर खुद में कई रहस्य समेटे हुए है, मंदिर में स्थापित देवी की प्रतिमा दिन में 3 बार रूप बदलती है..
श्रीनगर प्राचीन गढ़ नरेशों की राजधानी है, यहीं स्थित है मां धारी का मंदिर, जिसके बारे में कई मान्यताएं प्रचलित हैं। मां धारी को केदारनाथ का द्वारपाल कहा जाता है। यही नहीं क्षेत्र के लोग तो ये भी कहते हैं कि साल 2013 में केदारनाथ में आई जलप्रलय भी मां धारी के कोप की वजह से ही आई थी। धारी देवी को मां काली का रूप माना जाता है। साल 2013 में 16 जून की शाम मां धारी की प्रतिमा को प्राचीन मंदिर से हटा दिया गया था। श्रीनगर में चल रहे हाइडिल-पॉवर प्रोजेक्ट के लिए ऐसा करना पड़ा। प्रतिमा हटाने के कुछ घंटे बाद ही केदारनाथ में तबाही आ गई थी। जिसमें हजारों लोगों की जान गई। श्रद्धालुओं का मानना है कि मां धारी की प्रतिमा के विस्थापन की वजह से केदारनाथ का संतुलन बिगड़ गया था, जिस वजह से देवभूमि में प्रलय आई।
मंदिर के चमत्कारों की कहानियां दूर-दूर तक सुनाई देती हैं। कहते हैं मां धारी की प्रतिमा सुबह एक बच्चे के समान लगती है, दोपहर में उनमें युवा स्त्री की झलक मिलती है, जबकि शाम होते-होते प्रतिमा बुजुर्ग महिला जैसा रूप धर लेती है। कई श्रद्धालुओं ने प्रतिमा में होने वाले परिवर्तन को साक्षात देखने का दावा भी किया है। मां धारी का मंदिर श्रीनगर से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कहते हैं कि प्राचीन समय में मां धारी देवी ने धारो गांव के लोगों से अपनी प्रतिमा गांव के करीब ही स्थापित करने को कहा था, तब से मां धारी देवी प्रतिमा रूप में यहीं विद्यमान है। जो श्रद्धालु मां धारी से सच्चे दिल से मनोकामना मांगते हैं, उनकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु मंदिर में घंटा चढ़ाते हैं।