भारतीय सेना के 25 सदस्यों का एक दल सतोपंथ शिखर पर विजय प्राप्त करने के लिए निकला था जहाँ अभियान के दौरान सेना के दल को बर्फ में दबा एक जवान का शव मिला
भारतीय सेना का 25 सदस्यीय एक दल स्वर्णिम विजय वर्ष के मौके पर संतोपंथ चोटी को फतेह करने 12 सितंबर को उत्तरकाशी से निकला था. जहाँ अभियान के दौरान सेना के दल को 23 सितंबर को हर्षिल नामक जगह के पास बर्फ में दबा एक का शव मिला. जिसे सेना के जवानों ने गंगोत्री पहुंचाया और पुलिस को सौंपा दिया. पुलिस ने शव के अवशेषों का पंचनामा भर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया. इस मामले में जब पुलिस और सेना ने जानकारी जुटाई तो पता चला कि यह फौजी भी 23 सितंबर 2005 में इसी चोटी पर तिरंगा फहराकर लौट रहा था. तब पैर फिसलने से चार जवान खाई में गिर गए थे. तीन जवानों की लाश उसी वक्त बरामद हो गई थी, जबकि एक लापता था. गंगोत्री नेशनल पार्क की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है सतोपंथ, जिसकी ऊंचाई 7075 मीटर मानी जाती है. बता दें की भारतीय सेना का 25 सदस्यों का एक दल स्वर्णिम विजय वर्ष के मौके पर सतोपंथ चोटी को फतह करने 12 सितंबर को उत्तरकाशी से निकला अभियान के दौरान सेना के दल को एक पर्वतारोही के शव के अवशेष मिले.
जिसे सेना के जवानों ने एकत्रित कर गंगोत्री पहुंचाया. जिसके बाद पुलिस को सौंप दिया. पुलिस ने शव के अवशेषों का पंचनामा भर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया जिसके बाद पुलिस ने अवशेषों का डीएनए टेस्ट करवाया वहीँ सेना के अधिकारियों का कहना है कि साल 2005 में सेना का एक दल सतोपंथ चोटी के आरोहण के लिए गया था. उसमें कुछ सदस्य मिसिंग हो गए थे. जिसके बाद तीन जवानों के शव बरामद कर दिए गए थे, जबकि एक लापता था. उन दिनों आर्मी ने कई दिन तक बचाव-खोजी अभियान चलाया. उत्तराखंड में मौसम खराब होने की वजह से सफलता नहीं मिली थी और अब ठीक 16 साल बाद 23 सितंबर 2021 को उनका शव बरामद हुआ है. जवान की ड्रेस, नेम प्लेट और बॉडी भी काफी हद्द तक सुरक्षित मिली है. आर्मी मुख्यालय से शनिवार सुबह घर पर आए तीन जवानों ने अमरीश त्यागी के बारे में सूचना दी है. वहीँ परिजनों ने भी शव की शिनाख्त कर ली है, बता दें की 26 या 27 सितंबर तक अमरीश का पार्थिव शरीर गांव में लाया जा सकता है. जवान अमरीश त्यागी गाजियाबाद के हिसाली गांव के रहने वाले थे. यह गांव थाना मुरादनगर के अंतर्गत आता है.