खुफिया एजेंसियों ने सरकार को इस तरह के इनपुट दिए हैं कि हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर जिले में किसान उग्र हो सकते हैं। राज्य में दिसंबर तक राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुका) लागू कर दी गई है।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में रविवार को हुए बवाल के बाद घमासान मचा है। तिकुनिया में किसानों के प्रदर्शन के दौरान सांसद पुत्र आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की गाड़ी से कुछ किसानों के कुचले जाने के बाद हिंसा की आग भड़क उठी, जिसमें 8 लोग मारे गए। पड़ोसी राज्य यूपी में हुई इस घटना का असर उत्तराखंड में भी दिख रहा है। उत्तराखंड के कई मैदानी जिलों की सीमा यूपी से सटी है, ऐसे में यहां हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। हरिद्वार जिले में भी उपद्रव होने के इनपुट मिले थे, जिसके बाद यहां अलर्ट जारी करते हुए यूपी की सीमाओं से सटे गांवों पर पुलिस और खुफिया विभाग को पैनी नजर रखने के निर्देश दिए हैं। किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों की गतिविधियों पर पुलिस और खुफिया विभाग नजर बनाए हुए है। ऊधमसिंहनगर में भी हालात चिंताजनक बने हुए हैं। खुफिया एजेंसियों ने सरकार को इस तरह के इनपुट दिए हैं कि हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर जिले में किसान उग्र हो सकते हैं।
ऐसे में पुलिस और प्रशासन के अधिकारी एक्शन मोड पर आ गए हैं। लखीमपुर में हुई हिंसा के विरोध में सोमवार को हरिद्वार में तमाम किसान संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया। हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए राज्य में दिसंबर तक राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुका) लागू कर दी गई है। पुलिस अधिकारियों ने जिले के सभी कोतवाली और थाना प्रभारियों व एलआईयू को अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं। डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि लखीमपुर खीरी की घटना के मद्देनजर हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर में अलर्ट जारी किया गया है। अधिकारियों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं। इस संबंध में स्थानीय पुलिस यूपी के जिलों की पुलिस से भी लगातार संपर्क में है। हरिद्वार जिले से सटे यूपी के पड़ोसी जिले सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और बिजनौर के किसान संगठनों पर भी स्थानीय पुलिस व खुफिया विभाग नजर बनाए हुए हैं।