प्राइवेट स्कूलों से हुआ मोह भंग, अब सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला करा रहे हैं अभिभावक, पिथौरागढ़ में इस वर्ष 2350 नए छात्रों ने लिया सरकारी स्कूलों में प्रवेश
प्राइवेट स्कूलों की महंगी फीस को देखते हुए सरकारी स्कूल अभिभावकों की पहली चॉइस बनती जा रही है।अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिल कर रहे हैं। इस शिक्षा सत्र में जिले के सरकारी स्कूलों में दो हजार नए बच्चों ने प्रवेश लिया है।अभिभावकों का कहना है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले काफी बेहतर है और सरकारी स्कूलों की फीस भी कम है जो कि उनकी जेब को भारी नहीं पड़ते हैं। प्राइवेट स्कूलों में फीस अधिक होने के कारण उनमें बच्चों को पढ़ाना आसान नहीं है। बात करें पिथौरागढ़ की तो यहां भी अभिवावकों का रुझान सरकारी स्कूलों की तरफ बढ़ रहा है।पिछले कई सालों से सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या घट रही थी। मगर कोरोना काल में बेरोजगारी बढ़ने से कई अभिभावकों ने सरकारी स्कूलों पर शिफ्ट किया है। सीमांत जनपद के सरकारी स्कूलों के प्रति अभिभावकों का रुझान बढ़ा है।
इस बार जिले के 1024 प्राथमिक विद्यालयों में 2350 नए छात्र-छात्राओं ने पहली कक्षा में प्रवेश लिया है। नए बच्चों के प्रवेश के बाद प्राथमिक विद्यालयों में कुल छात्र संख्या 18,242 पहुंच गई है। गंगोलीहाट में इस सत्र में 510 विद्यर्थियों ने प्रवेश लिया। धारचूला में 439, विण में 384, मुनस्यारी में 374, मूनाकोट में 245, डीडीहाट में 221, कनालीछीना में 157, बेड़ीनाग में 75 नए बच्चों ने सरकारी स्कूलों में नया प्रवेश लिया। वहीं चार साल से बंद प्राथमिक विद्यालय ग्वेता में भी 10 बच्चों ने लिया प्रवेश लिया है। जो विद्यालय बच्चों की कमी के चलते बंद हो गया था वह वापस से आबाद हो गया है। यह प्राथमिक विद्यालय चार साल पूर्व शून्य छात्र संख्या के कारण बंद हो गया था। 4 साल के बाद यहां 10 बच्चों ने प्रवेश लिया है। जिला शिक्षा अधिकारी एके गुंसाई का कहना है कि बीते कुछ सालों में सरकारी स्कूूूलों में शिक्षा का स्तर काफी सुधरा है, जिससे अभिभावक अपने बच्चों का सरकारी स्कूलों में दाखिला करवा रहे हैं।