उत्तराखंड पुलिस थाने और चौकियों में खड़े वाहनों को बेचने की तैयारी हो रही है। ये सस्ती कीमतों पर बेची जाएंगी।
विभिन्न अपराधों में पकड़े गए वाहनों को तीन महीने के भीतर सस्ती कीमतों पर नीलाम कर दिया जाएगा। गुरुवार को मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू ने इसे लेकर एसओपी भी जारी कर दी है। इसके मुताबिक, न्यायालयों में विचाराधीन अपराधों से संबंधित वाहन भी न्यायालय की अनुमति के बाद नीलाम किए जाएंगे। पुलिस की ओर से आरटीओ को जिन वाहनों की सूचना उपलब्ध कराई जाएगी, आरटीओ को उनका मूल्यांकन कर 15 दिन में रिपोर्ट देनी होगी। रिपोर्ट आने के बाद 30 दिन के भीतर नीलामी का विज्ञापन प्रकाशित होगा। नीलामी में अगर सही रेट न मिला तो 15 दिन के भीतर दूसरी नीलामी होगी। इसमें भी नीलामी न होने पर 15 दिन के भीतर तीसरी नीलामी होगी। फिर भी नीलामी नहीं होती तो वह वाहन स्क्रैप में भेज दिया जाएगा। नीलामी के नियम क्या होंगे, ये भी बताते हैं।
आबकारी एक्ट के तहत पकड़े गए वाहनों को अगर छह माह के भीतर वाहन स्वामी छुड़ाने का दावा नहीं करता तो इन्हें नीलाम किया जाएगा। लावारिस वाहन को लेकर अगर वाहन स्वामी या बीमा कंपनी छह माह के भीतर पुलिस के सामने दावा पेश नहीं करते तो थानाध्यक्ष बीमा कंपनी से संपर्क करेंगे। बीमा कंपनी न्यायालय की मदद से 30 दिन में वाहन छुड़ा सकेगी। दावा पेश न होने पर वाहन की नीलामी की जाएगी। जिन वाहनों से संबधित केसों में कोर्ट का फैसला आ चुका होगा, उसमें कोर्ट ऑर्डर आने के तीन माह के भीतर थानाध्यक्ष को नीलामी प्रक्रिया पूरी करानी होगी। परिवहन विभाग की ओर से जब्त किए गए वाहनों के निपटारे का मासिक परीक्षण परिवहन आयुक्त को करना होगा। पुलिस थानों से संबंधित समीक्षा डीजीपी को करनी होगी। सभी एसएसपी, एसपी को हर महीने होने वाली क्राइम मीटिंग में ऐसे वाहनों की समीक्षा के निर्देश दिए गए हैं। जिला जज, डीएम, एसएसपी के बीच होने वाली मासिक मॉनिटरिंग सेल की बैठक में भी इसकी समीक्षा की जाएगी।