हिरण का बच्चा भागीरथी के टापू पर पानी पीने गया था डेढ घंटे की कड़ी मेहनत के बाद एसडीआरएफ ने किया रेस्क्यू
उत्तरकाशी की भागीरथी नदी पर बने टापू में एक हिरण का बच्चा पानी पीने आया और फिर वहीं पर फंस गया। डेढ़ घंटे की भारी मशक्कत के बाद एसडीआरएफ में हिरण के बच्चे का सकुशल रेस्क्यू किया। फंसे हुए हिरण के बच्चे को एसडीआरएफ ने रेस्क्यू कर वन विभाग को सौंप दिया है। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि हिरन के बच्चे को सकुशल जंगल में छोड़ दिया गया है। दरअसल भागीरथी नदी के मणिकर्णिका घाट के समीप भागीरथी नदी पर बने टापू में शनिवार सुबह हिरण का बच्चा पानी पीने आया हुआ था और वहीं पर फंस गया। लोगों ने हिरण के बच्चे को फंसा हुआ देखा जिसकी सूचना वन विभाग को दी गई। वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची लेकिन संसाधन न होने के कारण वह भागीरथी नदी की तेज धारा को पार कर टापू तक पहुंच पाने में सफल नहीं हो पाई। डिप्टी रेंजर एमपी मिश्रा ने बताया कि सर्दियों में भागीरथी में पानी कम होने के वजह से इस स्थान पर नदी दो धाराओं में बढ़ जाती है। और बीच में कुछ खाली स्थान छूट जाता है जो एक टापू की शक्ल ले लेता है।
हिरण का बच्चा यहीं पर पानी पीने आया और नदी की तेज धारा के बीच फंस गया। वह किसी तरह टापू में पहुंच गया। लेकिन भागीरथी की तेज धारा को पार कर नहीं लौट पा रहा था। हिरण के बच्चे के रेस्क्यू के लिए एसडीआरएफ को घटना से अवगत कराया। एसडीआरएफ ने मौके पर पहुंच रेस्क्यू अभियान चलाया। एसडीआरएफ प्रभारी जगंदबा प्रसाद ने बताया कि करीब डेढ घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद हिरण का बच्चा पकड़ में आया। हिरण को पकड़ कर वन विभाग की टीम को सौंपा गया। एसडीआरएफ मोटर बोट व क्याक के सहारे हिरण के बच्चे तक पहुंची। डिप्टी रेंजर एमपी मिश्रा ने बताया कि हिरण के बच्चे को सकुशल मुखेम रेंज के जंगल में छोड़ दिया गया है। इस अस्थाई टापू पर किसी भी जानवर के फंसने की यह पहली घटना है।