उत्तराखंड में पहली बार DNA से होगी हाथियों की गणना, गोबर से तैयार होगी प्रोफाइल रिपोर्ट
Published:
23 Sep 2023
निदेशक वीरेंद्र तिवारी ने भारतीय वन्यजीव संस्थान के 34वें वार्षिक शोध कार्यशाला में बताया की वन्यजीव संस्थान लगातार किस प्रकार से हाथियों की सुरक्षा के लिए कार्य कर रहा है। हाथियों की सही संख्या प्राप्त करने के लिए पूरे भारत में DNA द्वारा गणना की
राज्य में पहली बार हाथियों की गिनती DNA द्वारा की जा रही है। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया ने देश के सभी वन्य जीव अभ्यारणों में इस गणना कार्य को पूरा करवाया है। WLII द्वारा इस गणना के लिए हाथी के गोबर से DNA का सैंपल और कैमरा ट्रैप का प्रयोग किया गया है। DNA गणना की रिपोर्ट केंद्र में भेज दी गयी है। इस गणना विधि को जल्द ही केंद्रीय वन एक पर्यावरण मंत्रालय जारी करेगा। निदेशक वीरेंद्र तिवारी ने भारतीय वन्यजीव संस्थान में 34 वें वार्षिक शोध कार्यशाला में बताया की वन्यजीव संसथान लगातार किस प्रकार से हाथियों की सुरक्षा के लिए कार्य कर रहा है। हाथियों की सही संख्या का पता लगाने के लिए पूरे देश में DNA द्वारा गणना की जा रही है। इस्सके पूर्व ब्लाक काउंट के आधार पर हाथियों की गणना की जाती थी। जिसमे कई बार सही संख्या का पता नहीं लग पता था। इसीलिए गणना के अनेक तरीकों में से DNA आधारित तरीके को चुना गया।
देश में प्रोजेक्ट एलिफेंट के 30 साल पुरे होने पर वन एवं पर्यावरण ने हाथियों की सुरक्षा को देखते हुए DNA गणना की घोषणा की है। वर्ष 2017 में हाथियों की संख्या 29, 964 दर्ज की गई थी। अब डीएनए आधारित गणना में पहले बेसलाइन सर्वे हुआ फिर गोबर का सैंपल लिया गया। कैमरा ट्रैप से हाथियों की संख्या का पता लगाया गया।डीएनए प्रोफाइलिंग में हाथियों की प्रजाति और संभावित उम्र के साथ ही उसके बारे में कई अन्य जानकारियां भी दी गई हैं। निदेशक विरेंद्र तिवारी ने बताया कि डीएनए प्रोफाइलिंग से हाथियों के कॉरिडोर को पहचानने और मानव-हाथी संघर्ष को कम करने में भी मदद की उम्मीद है। आसाम और केरल समेत कई राज्यों में मंदिरों और संस्थाओं के पास करीब 1000 हाथी हैं, प्रोफाइलिंग से ऐसे हाथियों की जानकारी जुटाई जा सकेगी।इससे हाथियों के व्यवहार को जानने में सहायता मिलेगी। DNA द्वारा गणना को एक सही तरीका माना गया है। भारतीय वन्यजीव संस्थान हाथियों की सुरक्षा में गंभीर रूप से जूता हुआ है।