धर्मनगरी में व्यापारियों के कड़े संघर्ष के बाद के बाद रोड़ीबेलवाला क्षेत्र में राज्य का पहला पिंक वीडिंग जोन बनाया गया। ये वेडिंग जॉन महिला स्ट्रीट वेंडरो के लिए बनाया गया। महिला स्ट्रीट वेंडर ने इसका आवंटन भी ले लिया। लेकिन असुविधा होने के कारण महिला
धर्मनगरी में व्यापारियों के लम्बे संघर्ष के बाद महिला स्ट्रीट वेंडरों के लिए रेडीबेलवाला क्षेत्र में राज्य का पहला पिंक वैडिंग जोन बनाया गया। महिला वेंडर द्वारा इसका आवंटन भी ले लिया गया। महिलाओं को असुविधा होने के कारण अभी भी दुकाने नहीं खोलती हैं। रेहड़ी पटरी खोखा एसोसिएशन ने कहा है कि पिंक वीडिंग जॉन की उपयोगिता और सार्थकता करने में नगर निगम प्रशासन असफल रहा। नगर निगम द्वारा कुल 100 दुकाने बनाई गयी। लेकिन शासन की जैसा चाहता था वैडिंग जॉन वैसे संचालित नहीं हो सका। वेडिंग जॉन में बनी 98 महिला स्वयं सहायता समूहों व वेंडरों को दी गयी है। लेकिन इसकी उपयोगिता महिलाएं न के बराबर कर पा रही हैं। इस समय परिस्थितियां ऐसी हैं कि जिन अस्थाई वेंडरों को रोड से हटाकर स्थायी किया गया वो आज भी अतिक्रमण करके बैठे हैं। वह पर दुकाने तो ऐसी हैं जो अभी तक खुली नहीं हैं। इनमें से कुछ ही दुकाने खुली हैं। दरअसल, आज भी शहर में कई जगह महिलाएं रेहड़ी-पटरी लगाकर अपनी आजीविका चलाती हैं। पिंक वैडिंग जोन का उद्देश्य उन महिलाओं को स्थाई तौर पर दुकाने आवंटित कर उनकी आजीविका में सहयोग करना था। जिन औरतों के नाम पर दुकाने आवंटित की गयी वो आज भी रेहड़ी-पटरी पर ही अपनी दुकानें लगा रही हैं। पिछले लम्बे समय से व्यापारी एसोसिएशन भी पिंक वेडिंग जोन के लिए मांग कर रहा था। व्यापारी एसोसिएशन की मांग थी की उन महिलाओं को दुकान लिए व्यवस्थित जगह दी जाए।
धर्मनगरी में व्यापारियों के कड़े संघर्ष के बाद के बाद रोड़ीबेलवाला क्षेत्र में राज्य का पहला पिंक वीडिंग जोन बनाया गया। रेडिबेलवाला के क्षेत्र के रास्ते पर दुकाने अलॉट तो कर दी गई। लेकिन अतिक्रमण हटाने की दिशा में उठाया गया यह कदम भी विफल साबित हो रहा है। राज्य सरकार के संरक्षण में नगर निगम प्रशासन की ओर से पिंक वेंडिंग जोन विकसित किया गया। मूलभूत सुविधा जैसे बिजली, पानी शौचालय, सीसीटीवी कैमरे, सौंदर्यीकरण जो कि विकास प्राधिकरण की ओर से किया जाना था वह नहीं हो पाया। इसके कारण महिलाओं द्वारा कई बार आवाज उठाई गई। आज रखरखाव न होने के कारण पिंक वेंडिंग जोन की उपयोगिता सार्थक सिद्ध नहीं हो सकी। इस पर शासन को विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए। संजय चोपड़ा, प्रांतीय अध्यक्ष, लघु व्यापार एसोसिएशन दुकानों में सामान रखकर लाभार्थी आज भी रेड़ियाँ लगा कर ही व्यापार कर रहे हैं। सभी प्रकार की सुविधाएं वेंडिंग जोन में विकसित की गई हैं। जल्द ही उन लाभार्थियों को चिह्नित करने की कार्रवाई शुरू की जाएगी, जिन्होंने आवंटन के बाद दुकानें नहीं खोलीं। गरीब महिलाओं ने पिंक वेंडिंग जोन के लिए 1 लाख 60 हजार रुपये किस प्रकार से जुटाए ये वही जानती हैं। इसके बावजूद वो लोग वेंडिंग जोन में असुविधाओं के चलते दुकानें नहीं खोल पा रही हैं। बीते चार पांच माह पूर्व पांच दुकानें जलकर राख हो गई थीं। सबसे बड़ी असुविधा शौचालय की है। महिला पिंक जोन फाइबर का बनाया गया, जबकि इसे लोहे से सुंदर बनाया जाना था। शासन की योजना के अनुरूप निर्माण कार्य भी नहीं किया गया।