उत्तराखंड के दो जुड़वा बच्चे एक साथ भर्ती हुए अग्निवीर में, चतुर और चंचल ने बताया की जब दोनों बच्चे 14 साल के थे। उस समय उन्होंने कमांडो फिल्म देखी थी। उसमे अभिनेता विद्युत जामवाल ने फिल्म में आर्मी ऑफिसर का दमदार निभाया था। तो इसी फिल्म से दोनों बच्च
देवभूमि उत्तराखंड को पुराने समय से ही सैनिकों की भूमि भी कहा जाता है। उत्तराखंड के वीरों ने युद्ध क्षेत्र में अपने अदम्य शौर्य, साहस और पराक्रम का परिचय दिया है। यही वजह है की देवभूमि उत्तराखंड को वीरों की भूमि भी कहा जाता है। देश के सबसे ज्यादा सैनिक उत्तराखंड से ही भर्ती होते हैं। हर साल पूरे देश के सभी राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा युवा भारतीय सेना में चयनित होते हैं। और देश के प्रति मर मिटने की चाह, देशभक्ति, उत्तराखंड के वीर जवानों के अंदर देश के प्रति मर मिटने की चाह, देशभक्ति, देश सेवा जूनून कूट कूट के भरा हुआ है। कुछ इसी प्रकार की देशभक्ति के जज्बे की मिसाल नैनीताल जिले के ओखलकांडा ब्लॉक के रहने वाले दो जुड़वा भाई चतुर मेहरा और चंचल मेहरा ने एक साथ भारतीय सेना के लिए अग्निवीर भर्ती में चयनित होकर पेश की है। दोनों बच्चो ने बताया की जब वे दोनों 14 साल के थे। तब से ही चतुर और चंचल दोनों भाइयों ने ठान लिया था की भारतीय सेना का हिस्सा बनेंगे। दोनों बच्चो ने जी तोड़ मेहनत और जूनून के दम पर पहले ही प्रयास में अग्निवीर भर्ती में सफलता हासिल की और जल्द दोनों सेना की वर्दी में नजर आएंगे।
चतुर और चंचल ने बताया की 14 साल की उम्र में दोनों बच्चो ने कमांडो फिल्म देखी थी। फिल्म में अभिनेता विद्युत जामवाल ने भारतीय सेना के कमांडो का दमदार किरदार निभाया था। उनके रोल से प्रभावित होकर दोनों ने फ़ौज में जाने की ठान ली थी। चतुर ने बताया की उनके बड़े भाई हेम मेहरा ने भी साथ में इस भर्ती में हिस्सा लिया था और फिजिकल में पास हो गया था परन्तु वो मेडिकल में बाहर हो गए। चतुर ने बताया की GIC अधौड़ा से 12वीं पास करने के बाद गांव की परिस्थिति को देखते हुए दोनों भाई हल्द्वानी शिफ्ट हो गए। वहां पर दोनों बच्चे अपने कॉलेज की पढ़ाई के साथ में ही रात 11 बजे रेस्ट्रोरेंट में जॉब भी करते थे। और सुबह 4 बजे उठकर दौड़ने जाते थे। और साथ ही अपनी पढ़ाई भी करते थे। और दोपहर को अपने जॉब पर जाते थे। उनके पिता गांव में खेती करते हैं। जब उनके पिता ने बच्चों की अग्निवीर में भर्ती होने की खबर सुनी तो वो बहुत खुश हुए और साथ में गांव वालों को जब इस बात की खबर मिली तो उनके घर पर बधाई देने वालों का ताँता लग गया। चतुर और चंचल ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता - पिता, गुरुजन और बड़े भाई हेम मेहरा को दिया है।