रुद्रप्रयाग जिले के सरकारी दफ्तरों में कामकाज पहले ही सुस्त रफ्तार से होता था, अब सरकारी दफ्तरों के कर्मचारी बिजली कटौती का बहाना बनाकर लोगों को बाहर से ही टरका देते हैं।
रुद्रप्रयाग जिले में घंटों तक बिजली का गुल रहना आम सी बात हो गई है। इन दिनों यहां लोगों को बिजली की कटौती से जूझना पड़ रहा है। बोर्ड परीक्षाएं सिर पर हैं, लेकिन रुद्रप्रयाग जिले के कई क्षेत्रों में घंटों तक बिजली गुल रहती है, जिस वजह से छात्र लालटेन का सहारा लेने को मजबूर हो गए हैं। सरकारी दफ्तरों में कामकाज पहले ही सुस्त रफ्तार से होता था, अब सरकारी दफ्तरों के कर्मचारी बिजली कटौती का बहाना बनाकर लोगों को बाहर से ही टरका दिया जाता है। व्यवसायी से लेकर आम गृहणी तक बिजली की कटौती से परेशान हैं। जिले में सुबह से लेकर देर शाम तक कई-कई घंटों के लिए बिजली नहीं आती। बिजली कटौती के कारण तहसीलों में दूरदराज से अपने जरूरी कागजातों के लिए पहुंच रही जनता को भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने कहा कि बिजली परियोजनाओं से मंदाकिनी और अलकनंदा नदियों का अस्तित्व खतरे में हैं, बावजूद इसके यहां के लोगों को बिजली समस्या से जूझना पड़ रहा है।
एशिया की सबसे बड़ी बिजली परियोजना उत्तराखंड के टिहरी जिले में होने के साथ ही चमोली और रुद्रप्रयाग जिले में काफी मात्रा में जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के बाद भी क्षेत्र में बिजली की समस्या होना गरीब जनता के साथ धोखा है। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई चौपट हो गई है। सरकारी कामकाजों पर बिजली कटौती का बुरा असर पड़ रहा है। ऊखीमठ ब्लॉक के तुंगनाथ घाटी के गांवों में पिछले सालों की अपेक्षा इस साल ज्यादा विद्युत कटौती की जा रही है, जिससे कुटीर उद्योग व पर्यटन व्यवसाय प्रभावित हो रहा है। उधर, बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता मनोज सती ने बताया कि लो वोल्टेज की समस्या के निराकरण को लेकर पिटकुल से वोल्टेज बढ़ाने से संबंधित पत्राचार किया जा रहा है। जल्द ही समस्या का समाधान कर लिया जाएगा।