उत्तराखंड में अप्रैल महीने से मेट्रो नाम से एक नई शराब बिकेगी। जिसका उत्पादन उत्तराखंड में ही किया जाएगा और मेट्रो नाम की ये शराब उत्तराखंड में ही उत्पन किए जाने वाले इंग्रीडियन्स से मिलकर बनाई जाएगी।
मेट्रो शराब केवल उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में ही नहीं बल्कि राज्य के सभी (13) जिलों में भी बिकेगी। बीते शनिवार को एक्साइज कमिशनर द्वारा जारी किए गए बयान में बताया गया कि मेट्रो किसी कम्पनी व ब्रांड का नाम नहीं है बल्कि ये शराब उत्तराखंड में उत्पन्न होने वाले फल, फूल व जड़ी बूटियों से बनाई जाएगी। इस शराब का नाम मेट्रो रखा गया है। उत्तराखंड में बनने वाली यह शराब उत्तराखंड के सरकारी दुकानों में बिकेगी। इस शराब की कीमत अंग्रेजी शराब से कम होगी। एक्साइज कमिशनर के मुताबिक इस खबर से उत्तराखंड में अन्य राज्यों से होने वाली शराब की अवैध तस्करी रुक पाएगी। और साथ ही जो किसान सेब, आड़ू, माल्टा, पूलम आदि की फसल उगाते हैं उनको फसलों के सही दाम मिलेंगे।
बता दें कि भारत में निर्मित अंग्रेजी शराब की तीव्रता 42.8 होती है। जबकि, देसी शराब 36 और 25 प्रतिशत की तीव्रता की होती है। लेकिन, मेट्रो की तीव्रता 40 प्रतिशत होगी। यानी कि मेट्रो शराब में एल्कोहल की मात्रा 40 प्रतिशत होती है। ऐसे में जिन जिलों में देसी शराब की बिक्री नहीं होती, वहां इसे देसी का ही विकल्प माना जा रहा है। हालांकि, इसके लिए राज्य में अलग से ठेके नहीं खोले जाएंगे।इस शराब को राज्य की सरकारी दुकानों से खरीदा जाएगा। मेट्रो शराब उत्तराखंड में उत्पादित फलों और वनस्पतियों के स्वाद से युक्त उच्च गुणवत्ता युक्त स्प्रिट से प्रदेश की डिस्टीलरियों में ही बनेगी। बताया जा रहा है कि उत्तराखंड में बाहरी राज्यों से अंग्रेजी शराब की अवैध तस्करी को रोकने के लिए अब नई आबकारी नीति में नई तरह की शराब की बिक्री की व्यवस्था की गई है।