कनोल गांव ने कोई मेडल तो नहीं जीता, लेकिन गांव के बच्चे भविष्य में मेडल जीतते रहें, इसका पक्का इंतजाम जरूर कर दिया है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट
अभी हाल में उत्तराखंड के कई होनहारों ने राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी खेल प्रतिभा का दम दिखाया। हरिद्वार की रहने वाली वंदना कटारिया ने टोक्यो ओलंपिक में जीत की हैट्रिक लगाई तो वहीं गोल्डन गर्ल अंकिता ध्यानी नेशनल गेम्स में छाई रहीं। इस बीच चमोली के एक गांव ने भी खेल के क्षेत्र में एक शानदार काम किया है। इस गांव ने कोई मेडल तो नहीं जीता, लेकिन गांव के बच्चे भविष्य में मेडल जीतते रहें, इसका पक्का इंतजाम कर दिया है। हम बात कर रहे हैं घाट विकासखंड के कनोल गांव की। जहां लोगों ने श्रमदान कर खेल मैदान बनाया है, ताकि भविष्य के लिए खिलाड़ी तैयार किए जा सकें। कनोल गांव की स्थिति भी पहाड़ के अन्य दूरस्थ इलाकों जैसी ही है। यहां बमुश्किल सड़क तो पहुंच गई, लेकिन नंदाकिनी नदी में अभी तक पुल नहीं बना। ग्रामीण पैदल चलते हैं। तमाम मुश्किलों के बावजूद यहां के लोगों ने अपने बच्चों के लिए ऐसा शानदार काम किया, जिसने इस गांव को रातोंरात चर्चा में ला दिया।
ग्रामीण श्रमदान कर यहां खेल मैदान बना रहे हैं। हैरत इस बात की भी है कि इस खेल मैदान को तैयार करने में पुरुषों से अधिक भागीदारी महिलाओं की है। गांव की प्रधान सरस्वती देवी ने बताया कि बीते सालों आई आपदा की वजह से गांव के ज्यादातर मकान भूस्खलन की चपेट में आ गए थे। जिसके बाद सरकार ने 70 से अधिक परिवारों को विस्थापित किया। इस तरह परिवारों को छत तो मिल गई, लेकिन बच्चों के लिए खेल मैदान नहीं था। युवा कल्याण विभाग से भी कई बार कहा गया, पर किसी ने सुना नहीं। सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो ग्रामीण खुद श्रमदान कर खेल मैदान बनाने में जुट गए। अब खेल मैदान बनकर तैयार हो चुका है। इस मैदान में बच्चे वॉलीबॉल, बैडमिंटन, कबड्डी और खो-खो खेल सकते हैं। श्रमदान से खेल मैदान बनाकर गांव वालों ने सरकार को आईना दिखाने का काम किया है। सोशल मीडिया पर कनोल के ग्रामीणों को सराहा जा रहा है, लोग उन्हें सैल्यूट कर रहे हैं।