राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की ओर से राज्य के गढ़वाल और कुमाऊं मंडल में आठ कर्मियों वाली दो पर्वतारोहण टीमों को तैनात किया जाएगा। इससे आपदा के समय में बचाव आसान होगा।
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटकों और साहसिक गतिविधियों की संख्या बढ़ रही है, जिससे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हिमस्खलन, भूस्खलन और ग्लेशियल झील के फटने से होने वाली बाढ़ जैसी आपात स्थितियों में भी बढ़ोतरी हो रही है। इस समस्या से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) ने विशेष पर्वतारोहण दलों को राज्य में तैनात करने जा रहा है। पर्वतारोहण टीमें अगले ट्रेकिंग सीजन से शुरू होने वाले ऑपरेशन के लिए तैयार रहेंगी। उत्तराखंड में वर्तमान समय में NDRF की एक बटालियन है जिसमें 18 पर्वतारोहण टीमें राज्य के अलग-अलग स्थानों पर तैनात हैं इसके अलावा देहरादून में एक क्षेत्रीय प्रतिक्रिया केंद्र भी है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की ओर से राज्य के गढ़वाल और कुमाऊं मंडल में आठ कर्मियों वाली दो पर्वतारोहण टीमों को तैनात किया जाएगा।
उत्तराखंड के गदरपुर में तैनात NDRF की 15वीं बटालियन के कमांडेंट सुदेश कुमार द्राल ने बताया कि इन टीमों को तैनाती से पहले हिमाचल प्रदेश के एक पर्वतारोहण संस्थान में गहन प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसी तरह की टीमें उत्तराखंड के अलावा हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर और सिक्किम जैसे अन्य हिमालयी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भी तैनात की जाएंगी। ये टीमें मनाली स्थित अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण एवं संबद्ध खेल संस्थान में प्रशिक्षण लेंगी तथा भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के साथ उच्च ऊंचाई वाली अग्रिम चौकियों पर कार्य करके स्वयं को वहां के वातावरण के अनुकूल बनाएंगी। इससे वे पहाड़ों में हिमस्खलन, भूस्खलन और अन्य आपात स्थितियों के दौरान तेजी से बचाव अभियान चला सकेंगे।