PM मोदी के पिथौरागढ़ दौरे की धमक से मुख्यमत्रीं पुष्कर धामी बहुत खुश हैं। गढ़वाल में चारधाम यात्रा की तरह कुमाऊं में मानसखंड यात्रा के गलियारे के सपने को प्रधानमंत्री मोदी ने उस सपने को उड़ान दे दी है...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने पिथौरागढ़ जिले के दौरे की जो पटकथा लिखी। उस पठकथा में उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को बहुत खास किरदार के रूप में दिखाया। उन्होंने पूरे दौरे के दौरान मुख्यमंत्री के मन के अनुरूप भरोसा जताया। पिथौरागढ़ दौरे के दौरे के दौरान PM मोदी की धमक के साथ CM धामी की धूम साफ नजर आयी। PM मोदी धामी जी से बहुत प्रभावित हुए। पिथौरागढ़ में हुई भव्य जनसभा के दौरान मोदी के मुँह से अचानक ही निकला , वाह धामी जी वाह। और मोदी जी ने धामी की खूब तारीफ की और उनके प्रति एक खास भरोसा जताया। जनसभा के दौरान PM मोदी ने धामी जी की पीठ थपथपाई। और मोदी ने उत्तराखंड की सियासत को CM धामी की मजबूती का संदेश साफ कर दिया। PM मोदी के पिथौरागढ़ दौरे की धमक से मुख्यमंत्री CM धामी बहुत खुश हैं । उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में चारधाम यात्रा की तरह कुमाऊं क्षेत्र में मानसखंड यात्रा के लिए जो गलियारा तैयार करने का जो सपना मुख्यमंत्री धामी जी देख रहे हैं प्रधानमंत्री मोदी जी ने उसे नई उड़ान दे दी है।उत्तराखंड सरकार केदारखंड और मानसखंड की कनेक्टिविटी पर बहुत जोर दे रही है। जो लोग केदारनाथ और बदरीनाथ धाम जाते हैं, वे आस्था के केंद्र जागेश्वर धाम, आदि कैलाश और ओम पर्वत भी आसानी से आ सकेंगे। उत्तराखंड सरकार इन सभी तीर्थ स्थलों को एक दूसरे के मार्ग से कनेक्ट करने का प्रयास कर रही है। उत्तराखंड सरकार का प्रयास है की मानसखंड मंदिर माला मिशन से कुमाऊं के अनेक मंदिरो तक यात्रा करना आसान हो। PM नरेंद्र मोदी जी ने इन सभी तीर्थ धामों को सड़क व् रेल मार्गों की कनेक्टिविटी के जरिये जोड़ने के लिए आगे का रोड मैप भी दे दिया है और साथ में उन्होंने मुख्यमंत्री धामी को आगे हर प्रकार की मदद के लिए आश्वस्त भी कर दिया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पिछले करीब छह महीनों के दौरान जब-जब PM मोदी से दिल्ली में मुलाकात हुई। CM धामी उन्हें कुमाऊं आने का न्योता देना नहीं भूले। इसके पीछे उनकी यही मंशा रही कि गढ़वाल की चारधाम यात्रा की तरह तीर्थ यात्री कुमाऊं के पवित्र मंदिरों में दर्शन करने आएं। पीएम ने जिस तरह केदारधाम को वैश्विक पहचान दी है, उसी तरह दुनिया जागेश्वर धाम, आदि कैलाश और ओम पर्वत को देखने को उमड़े। जानकारों का मानना है कि पीएम के दौरे से एक नया डेस्टिनेशन तो तैयार हुआ ही है, साथ ही कुमाऊं मंडल के लिए यात्रा को एक नया दृष्टिकोण भी मिल गया। जानकारों का मानना है कि पीएम राजकाज के मोर्चे पर धामी का मनोबल मजबूत कर गए।दौरे की शुरुआत के लिए पीएम ने पिथौरागढ़ को ही क्यों चुना? इसके धार्मिक, सामरिक ही नहीं सियासी निहितार्थ भी हैं। चीन सीमा के पास आदि कैलाश और ओम पर्वत के दर्शन, पूजा अर्चना, वहां तैनात जवानों के बीच जाना, सीमांत गांवों के लोगों के साथ संवाद करना, हर घटना का अपना संदेश है। इस यात्रा में एक सियासी संदेश भी छिपा है। मसलन, लोकसभा चुनाव नजदीक हैं और उससे पहले पिथौरागढ़ के बागेश्वर में विधानसभा का उपचुनाव हो चुका है। प्रचंड बहुमत वाली सरकार के लिए बागेश्वर में जीत का कम अंतर चिंता वाली बात होना लाजिमी है। लोकसभा क्षेत्र के इस सियासी पहाड़ में जो दरारें दिखाई दे रही हैं, पीएम मोदी के जनसंपर्क और जनसभा में उमड़े जनसैलाब ने उन्हें भरने की कोशिश की है।