त्रिलोक सिंह उन चंद खुशकिस्मत पिताओं में से एक हैं, जिन्हें बेटे को अपनी ही रेजिमेंट में अफसर बनते देखने का मौका मिला है।
किसी भी पिता के लिए इससे बड़े गौरव का क्षण नहीं हो सकता कि वो बेटे को अपनी ही रेजिमेंट में अफसर बनते देखे। हल्द्वानी के बिठौरिया आदर्श कॉलोनी में रहने वाले त्रिलोक सिंह उन चंद खुशकिस्मत पिताओं में से एक हैं, जिन्हें अपने बेटे को अपनी ही रेजिमेंट में अफसर बनते देखने का मौका मिला है। आईएमए में हुई पासिंग आउट परेड में अंतिम पग पार कर उनके बेटे दीपक सिंह 9 कुमाऊं रेजिमेंट की मदर यूनिट में लेफ्टिनेंट बन गए। पासिंग आउट परेड में दीपक सिंह ने गोल्ड मेडल और ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स मेडल भी अपने नाम किया। उन्हें 9 कुमाऊं रेजिमेंट की मदर यूनिट में लेफ्टिनेंट पद पर कमीशन मिला है। दीपक 21 साल के हैं। उनके पिता त्रिलोक सिंह भी 9 कुमाऊं रेजिमेंट में हवलदार पद से वर्ष 2017 में रिटायर हो चुके हैं। त्रिलोक भले ही सेना में सिपाही रहे हों, लेकिन वो बेटे को हमेशा से अफसर बनते देखना चाहते थे। दीपक भी पिता के सपने को पूरा करने के लिए खूब मेहनत करते रहे।
दीपक की प्राथमिक शिक्षा अल्मोड़ा स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल से हुई। बाद में उन्होंने घोड़ाखाल सैनिक स्कूल और नेशनल मिलिट्री स्कूल बेंगलुरू की प्रवेश परीक्षा एक साथ पास की। छठी से आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने बेंगलुरू मिलिट्री स्कूल को चुना। साल 2016 में वो एनडीए के लिए चुने गए। देशभर में उन्होंने 16वीं रैंक प्राप्त की। यहां वे रोमियो स्क्वाड्रन के स्क्वाड्रन कैडेट कैप्टन रहे। एनडीए से साल 2020 में पास आउट होने वाले दीपक को जून में आईएमए देहरादून में एंट्री मिली। दीपक बेहद सामान्य पहाड़ी परिवार से ताल्लुक रखते हैं। शनिवार को उन्होंने पासिंग आउट परेड का नेतृत्व भी किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह उनके पिता ने देश की सेवा की उसी तरह वो भी देश के लिए हमेशा मुस्तैद रहेंगे। उनके पिता भी बेटे की उपलब्धि से गदगद हैं। उन्होंने कहा कि बेटे को अपनी ही रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट बनते देखना उनके लिए गर्व से भर देने वाला पल है, जिसे वो ताउम्र याद रखेंगे।